Environmental issues: Local, Regional and Global
पर्यावरण संकट स्थानीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तरों पर होने वाले संकटों का समूह हैं। यहाँ यहाँ उनकी एक आम जानकारी है:
स्थानीय पर्यावरण संकट:
- वायु और जल प्रदूषण: उद्योगिक उत्सर्जन, वाहन निकास, और गलत जल निपटान के कारण स्थानीय क्षेत्रों में हवा और पानी का प्रदूषण होता है। यह प्रदूषण श्वासनलीय समस्याओं, पानी संचलन की बीमारियों का कारण बन सकता है, और स्थानीय पारिस्थितिकियों को क्षति पहुंचा सकता है।
- कचरा प्रबंधन: अनुचित रूप से कचरा फेंकने की समस्या, जैसे कि प्लास्टिक, इलेक्ट्रॉनिक, और जहरीला कचरा, स्थानीय स्तर पर बड़ी चुनौती पूर्ण है। अनुचित कचरा प्रबंधन से मिट्टी और पानी की संसाधनों का प्रदूषण हो सकता है।
- वनस्पति विनाश: स्थानीय समुदाय अक्सर वनस्पति विनाश के परिणामस्वरूप से नुकसान के सामना करते हैं, जैसे कि जैव विविधता की हानि, स्थानीय जल चक्रों की व्यव्याप्ति, और मिट्टी की उत्थानी। वनस्पति विनाश भी जलवायु परिवर्तन का कारण बनता है।
- जल गतिविधि: अस्थायी कृषि पद्धतियाँ, शहरीकरण, और उद्योगिक गतिविधियाँ मिट्टी की उत्थानी और उसको खेति के लिए अनुपयुक्त बना सकती हैं।
क्षेत्रीय पर्यावरण संकट:
- सीमांत प्रदूषण: क्षेत्रीय सीमाओं को पार करने वाला प्रदूषण, जैसे कि एसिड वर्षा और नदियों में मिलने वाले प्रदूषक, कई समुदायों और पारिस्थितिकियों को प्रभावित कर सकता है। इन समस्याओं का सामना करने के लिए क्षेत्रों के बीच सहयोग आवश्यक है।
- जल संकट: कुछ क्षेत्रों में प्रदूषण, गंदगी, और परिस्थितिक परिवर्तन के कारण पानी की कमी होती है। पानी संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा विवाद और कृषि और मानव जनसंख्या को प्रभावित कर सकती है।
- शहरीकरण और आधारिक संरचना: तेजी से बढ़ते शहरीकरण से प्राकृतिक आवासों का नष्ट होता है और संसाधनों की मांग में वृद्धि होती है। सही योजना की आवश्यकता है ताकि शहरी विकास के पर्यावरण पर प्रभाव को कम किया जा सके।
- उद्योगिक और कृषि संकट: कृषि क्षेत्रों और औद्योगिक स्थलों से आने वाला पानी जलों और अपभ्रितीय पृष्ठ को मिलाकर नदियों और भूजल को प्रदूषित कर सकता है, जिससे केवल स्थानीय समुदायों को ही नहीं, बल्कि उन पूरे क्षेत्रों को प्रभावित किया जाता है जो इन जल स्रोतों पर आश्रित हैं।
वैश्विक पर्यावरण संकट:
- जलवायु परिवर्तन: ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के कारण प्लैनेट का गर्म होना एक वैश्विक चिंता है। इससे समुद्र के स्तर में वृद्धि, अत्यधिक मौसमी घटनाएँ, और पारिस्थितिकियों और कृषि पर प्रभाव होता है।
- ओजोन कमी: ओजोन पर्दे की कमी, मुख्य रूप से व्यक्ति-निर्मित पदार्थों जैसे कि क्लोरोफ्लुयोरोकार्बन (सीएफसी) के कारण होती है, हानिकारक अल्ट्रा-वायलेट (यूवी) किरणों को पृथ्वी की सतह तक पहुंचने देती है, मानवों और जीवों के स्वास्थ्य को खतरे में डालती है।
- जैव विविधता का विनाश: जैव विविधता अब जीवों के नाश की तेजी से घट रही है, जैसे कि बसेरा नाश, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, और प्रवासी प्रजातियों के कारण। इस घातकता से पारिस्थितिकियों की स्थिरता और मानव समाज को प्रभावित होता है।
- संसाधन अपभ्रिति: फॉसिल ईंधन, खनिजों, और मिट्टी की स्थिति से संसाधनों की वृद्धि की गुर्दवार है। संतोषजनक संसाधन प्रबंधन से आगामी पीढ़ियों की भलाइ देने के लिए आवश्यक है।
- प्लास्टिक प्रदूषण: प्लास्टिक कचरा, खासकर एक-बार उपयोग किए जाने वाले प्लास्टिक, एक व्यापक वैश्विक समस्या बन गया है। यह समुद्रों को प्रदूषित करता है, समुद्री जीवों को क्षति पहुंचाता है, और मानव खाद्य श्रृंग में भी पहुंचता है, जिससे स्वास्थ्य के खतरे होते हैं।